New Rent Law (नया किराया कानून) – किराये पर रहने वाले लोगों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। सरकार ने नया कानून लागू कर दिया है, जिसके तहत अब कोई भी मकान मालिक किराया एकतरफा तरीके से या बिना नोटिस दिए नहीं बढ़ा सकेगा। यह बदलाव खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो बड़े शहरों में कामकाज के सिलसिले में किराये पर रहते हैं और हर साल मनमानी किराया बढ़ोतरी झेलते हैं। अब उनके पास भी अधिकार होगा, और मकान मालिकों को तय नियमों का पालन करना होगा।
नया किराया कानून क्या कहता है?
सरकार द्वारा लाया गया नया “मॉडल टेनेंसी एक्ट” (Model Tenancy Act) का मकसद मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकारों को संतुलित करना है। इस एक्ट के तहत अब किराया बढ़ाने की प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी दायरे में आ चुकी है।
मुख्य प्रावधान:
- बिना लिखित एग्रीमेंट के कोई भी किरायेदारी वैध नहीं मानी जाएगी।
- मकान मालिक को किराया बढ़ाने से पहले कम से कम तीन महीने का लिखित नोटिस देना अनिवार्य होगा।
- अगर किराया एग्रीमेंट में वृद्धि की शर्तें पहले से तय नहीं हैं, तो मालिक को किराएदार की सहमति लेनी होगी।
- किराया संबंधित विवाद अब Rent Tribunal में सुने जाएंगे, जिससे कोर्ट का समय और खर्च बचेगा।
किराएदारों को किस तरह मिल रहा फायदा?
बहुत सारे किराएदारों की शिकायत रहती थी कि बिना किसी नोटिस के अचानक किराया बढ़ा दिया जाता है। खासकर मेट्रो शहरों में मकान मालिक मनमाने तरीके से 10-20% तक किराया बढ़ा देते हैं। अब इस कानून के आने के बाद ये सब आसान नहीं होगा।

उदाहरण:
दिल्ली के द्वारका में रहने वाली पूजा शर्मा बताती हैं कि पिछले साल उनके मकान मालिक ने सिर्फ एक हफ्ते का नोटिस देकर किराया ₹14,000 से बढ़ाकर ₹16,000 कर दिया। पूजा को न तो समय मिला सोचने का और न ही मोलभाव का। लेकिन नए कानून के बाद अब उन्हें कम से कम तीन महीने पहले जानकारी मिलेगी और बातचीत की गुंजाइश भी होगी।
मकान मालिकों के लिए क्या नियम हैं?
सरकार ने सिर्फ किराएदारों को ही नहीं, बल्कि मकान मालिकों को भी साफ निर्देश दिए हैं ताकि दोनों पक्षों में संतुलन बना रहे।
- किराया तय करने के लिए लिखित एग्रीमेंट जरूरी है।
- किराया बढ़ाने से पहले किराएदार को ईमेल, रजिस्टर्ड पोस्ट या मैन्युअल नोटिस के ज़रिए सूचित करना होगा।
- बिना नोटिस किराया बढ़ाने पर कानूनी कार्रवाई संभव है।
अगर विवाद हो जाए तो कहां जाएं?
नए कानून में Rent Authority और Rent Tribunal की व्यवस्था की गई है ताकि किराया विवादों का त्वरित निपटारा हो सके।
चरण | प्रक्रिया | समय सीमा |
---|---|---|
1 | शिकायत दर्ज | तुरंत |
2 | Rent Authority जांच | 30 दिन |
3 | Rent Tribunal सुनवाई | 60 दिन |
4 | फैसला | अधिकतम 90 दिन |
इस प्रक्रिया से किराएदारों को अब लंबी कोर्ट की चक्कर नहीं काटने होंगे और मकान मालिक भी उचित ढंग से न्याय पा सकेंगे।
कैसे करें खुद को कानूनी रूप से सुरक्षित?
अगर आप किराए पर रहते हैं, तो कुछ जरूरी बातों का पालन करें:
- हमेशा लिखित एग्रीमेंट बनवाएं, जिसमें किराया, समय, बढ़ोतरी की शर्तें, सिक्योरिटी डिपॉजिट सब दर्ज हो।
- हर भुगतान का प्रूफ रखें – जैसे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन या रिसीट।
- किसी भी मौखिक समझौते पर भरोसा न करें।
- अगर मकान मालिक बिना नोटिस किराया बढ़ाता है, तो आप Rent Authority में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
मेरे साथ क्या हुआ – व्यक्तिगत अनुभव
मैं खुद 2023 में गुरुग्राम में किराए पर रहता था। मेरा मकान मालिक हर साल किराया 10% बढ़ा देता था, वो भी बिना किसी नोटिस के। मैंने कई बार कहा कि कम से कम पहले से बता दो, लेकिन उसका कहना था – “मेरी मर्जी है, लेना है तो लो वरना निकल जाओ।” अगर उस समय ये कानून लागू होता, तो शायद मुझे इतनी बार जगह नहीं बदलनी पड़ती।
इस बदलाव से समाज को क्या फायदा?
- मजदूर वर्ग, स्टूडेंट्स और नौकरीपेशा लोग अब सुरक्षित महसूस करेंगे।
- मनमानी किराया बढ़ोतरी पर रोक लगेगी।
- मकान मालिक और किराएदारों के बीच रिश्ते ज्यादा पारदर्शी और ईमानदार होंगे।
- रियल एस्टेट में विश्वास बढ़ेगा, जिससे ज्यादा लोग घर किराए पर देने को तैयार होंगे।
यह नया कानून एक जरूरी और समयानुकूल कदम है। इससे न सिर्फ किराएदारों को अधिकार मिले हैं, बल्कि मकान मालिकों के लिए भी स्पष्ट नियम बन गए हैं। अगर इसका सही तरीके से पालन किया जाए तो शहरों में किराये की व्यवस्था ज्यादा न्यायपूर्ण, स्थिर और भरोसेमंद हो जाएगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: क्या मकान मालिक अब बिना लिखित नोटिस किराया बढ़ा सकता है?
उत्तर: नहीं, नए कानून के तहत कम से कम 3 महीने का लिखित नोटिस देना अनिवार्य है।
प्रश्न 2: क्या मौखिक एग्रीमेंट से अब किराए पर रहना मान्य होगा?
उत्तर: नहीं, सिर्फ लिखित एग्रीमेंट को ही वैध माना जाएगा।
प्रश्न 3: अगर मकान मालिक नियम नहीं माने तो क्या करें?
उत्तर: आप Rent Authority या Rent Tribunal में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
प्रश्न 4: क्या हर राज्य में यह कानून लागू हो चुका है?
उत्तर: यह एक मॉडल कानून है – राज्यों को इसे अपनाना होता है। कई राज्यों ने इसे लागू कर दिया है और बाकी प्रक्रिया में हैं।

प्रश्न 5: क्या इस कानून से मकान मालिकों को नुकसान होगा?
उत्तर: नहीं, इससे किरायेदारी व्यवस्था पारदर्शी और कानूनी होगी, जिससे दोनों पक्षों को फायदा होगा।